कांकलियर इंप्लांट से बच्चा सुनने व बोलने लगा,तो परिवार को मिली असीम खुशियां

कांकलियर इंप्लांट से बच्चा सुनने व बोलने लगा,तो परिवार को मिली असीम खुशियां

00 राजधानी के हियरिंग केयर सेंटर में उपलब्ध हैं अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाएं

रायपुर। किसी बच्चे को सुनने -बोलने में यदि परेशानी हो तो स्वाभाविक है माता पिता व परिवार का चिंतित होना। कम उम्र में समय रहते सही उपचार मिल गया तो ठीक होना भी स्वाभाविक है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग भटक जाते हैं,राजधानी रायपुर निवासी राहुल सिंह गौतम भी अपने बच्चे राजवीर को लेकर खासे परेशान रहे। बच्चे के इलाज के लिए देश के बड़े शहरों का चक्कर लगाए लेकिन राहत मिली अपने शहर रायपुर के बैरनबाजार स्थित हियरिंग केयर सेंटर से जहां कांकलियर इंप्लांट कराया और आज राजवीर सुन-बोल सकने की स्थिति में है।
राहुलसिंह ने बहुत ही संक्षिप्त में बताया कि उन्हे इस तरह की समस्या से जूझ रहे बच्चों के परिजनों ने हियरिंग केयर सेंटर जाने की सलाह दी। जब वे राजवीर की पूरी मेडिकल रिपोर्ट लेकर पहुंचे तब वह तीन साल का था,उसका रिस्पांश देखने के लिए जांच व उपचार शुरू हुआ,फिर कांकलियर इंप्लांट किया गया,सप्ताह में पांच दिन स्पीच थेरेपी के लिए जाते हैं। आज राजवीर सुनने-बोलने लगा है। डाक्टर्स ने बताया है कि समय के साथ-साथ सुनने की क्षमता भी बढ़ेगी और सफाई से बोल भी सकेगा। आज उनका पूरा परिवार खुश हैं और थैंकफूल हियरिंग केयर सेंटर।
हियरिंग केयर सेटंर के डाक्टर राकेश पांडेय व डाक्टर रुचिरा पांडेय ने बताया कि कम उम्र के बच्चे(तीन साल के अंदर तक)यदि बोल सुन नहीं पा रहे हैं तो घबराइए नहीं,कांकलियर इंप्लांट से ऐसे बच्चे सुनने व बोलने लगते हैं यहां तक जन्म से बहरे भी सुनने लगते हैं। इसके लिए जरूरी है समय रहते उपचार। अब तक उनकी ओर से 18 कांकलियर इंप्लांट किए जा चुके हैं और सभी सफलतापूर्वक कार्य रहे हैं। इनके संचालन के लिए समय-समय पर पैरेंट्स की मीटिंग भी करते हैं।
जब सामान्यत:सुनने वाली मशीन काम नहीं देती है तब डाक्टर्स भी कांकलियर इंप्लांट की सलाह देते हैं। यह एक इलेक्ट्रानिक उपकरण है कांकलियर इंप्लांट में एक बाहरी भाग होता है जो कान के पीछे बैठता है और दूसरा भाग कान के भीतर बिठाया जाता है,इसके लिए सर्जरी की जाती है। बाहरी भाग ध्वनि को पकड़ता है उसे संसाधित करता है और आंतरिक भाग संसाधित ध्वनि संकेतों को भीतरी कान तक पहुंचाता है जो कि ध्वनि को सुनने व समझने में सक्षम बनाते हैं। कांकलियर इंप्लांट के बाहरी भाग में एक तो माइक्रोफोन के साथ स्पीचप्रोसेसर व दूसरा ट्रांसमीटर होता है। स्पीचप्रोसेसर कान की मशीन के समान ही दिखता.स्पीच थेरेपी भी कांकलियर इंप्लांट का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आवाज और मौखिक संचार व गले से संबंधित पीड़ित बच्चों के लिए एक उपचार विधि है।
डॉ.राकेश और डॉ.रुचिरा पांडेय ने बताया कि जितने भी बच्चों का उनके यहां से कांकलियर इंप्लांट हुआ है सभी अब धीरे धीरे सामान्य जीवन जीने लगे हैं.इसलिए कि वे सुन भी रहे हैं और बोल भी रहे हैं। इसके लिए जागरूकता व जानकारी जरूरी हैं,समय रहते यदि ऐसे बच्चों का कांकलियर इंप्लांट किया गया तो निश्चित ही वे सामान्य बच्चों की तरह रह सकते हैं।
डॉ.पांडेय ने बताया कि सुनने और न बोल पाने की समस्या से पीड़ित लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हियरिंग केयर सेंटर छत्तीसगढ़ के लगभग सभी प्रमुख शहरों में सेंटर संचालित कर रही है। प्रदेश के इन 12 सेंटरों के माध्यम से पीड़ितों की जांच और परामर्श दी जाती है।

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