अग्रसेन महाविद्यालय में पत्रकारिता विभाग का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

अग्रसेन महाविद्यालय में पत्रकारिता विभाग का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

मीडिया को कानून के साथ नैतिक संयम की जरुरत: प्रो. बल्देवभाई शर्मा

रायपुर। अग्रसेन महाविद्यालय में पत्रकारिता विभाग द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सहयोग से आज से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ हुआ. इस अवसर उद्घाटन सत्र में कुशाभाऊ ठाकरे विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो बल्देवभाई शर्मा ने कहा कि मीडिया को कानून के अनुपालन के साथ ही नैतिक आत्मसंयम भी जरुरी है. कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित नेहरु ग्राम बालभारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ राममोहन पाठक ने कहा कि आजादी से पहले हमारा मीडिया बहुत नैतिक था. हमें वहीँ से आगे का रास्ता तलाशना होगा.
इस अवसर पर स्वागत भाषण करते हुए महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. वी.के. अग्रवाल ने कहा कि अपने प्रयोग में मीडिया अराजक न हो जाए, इसलिए मीडिया के लिए कानून का दायरा बनाना आवश्यक है. वहीँ आभार प्रदर्शन करते हुए प्राचार्य डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि मीडिया का दायित्व समाज को जागरूक करने का है. यदि इसमें कुछ बदलाव होता है, तो मीडिया को भी कानून का संयम मानना जरुरी हो जाता है. उन्होंने सभी वक्ताओं को उनके प्रेरक विचारों के लिए साधुवाद दिया. महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर प्रो. अमित अग्रवाल ने कहा कि इस राष्ट्रीय सेमीनार से महाविद्यालय का दायरा बढ़ा है, और इसके बाद आगे भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे.

उद्घाटन सत्र के बाद पहले तकनीकी सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक अकादमी के सहायक प्राध्यापक डॉ सुरेशमणि त्रिपाठी ने “सूचना का अधिकार एवं मीडिया की भूमिका“- विषय पर अपनी पर प्रस्तुति में विभिन्न स्लाईड के जरिये कहा कि लोकतंत्र में जनता को शासन और प्रशासन के कामकाज के बारे में जानने का अधिकार निश्चित रूप से है. चूँकि जनता के टैक्स के पैसे से सभी को वेतन मिलता है, तो जनता के प्रति सभी की जवाबदेही होनी ही चाहिए. इसी भावना से सूचना का अधिकार लागू किया गया. लेकिन इसका दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. इसीलिए इसमें कुछ धाराओं के तहत ऐसे प्रावधान किये गए हैं कि हर तरह की जानकारी जनता को नहीं दी जा सकती.

इसके बाद दूसरे तकनीकी सत्र में छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में विधि विषय के प्राध्यापक डॉ भूपेन्द्र करवंदे ने “ मानहानि, अवमानना और निजता का अधिकार” विषय पर विस्तार से अपनी प्रस्तुति में कहा कि जब कोई बात ऐसी हो, जिससे किसी व्यक्ति या संस्था के सम्मान को ठेस लगे, तो वह प्रकाशन, कथन या प्रसारण अवमानना की श्रेणी में आता है. इसी तरह निजता का अधिकार भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार के समकक्ष माना गया है.

अंत में दोनों सत्रों की अध्यक्षता करते हुए वर्धा स्थित महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ संदीप वर्मा ने कहा कि भारतीय मीडिया का कार्य आजादी के पहले बहुत ही नैतिक और मर्यादित रहा. लेकिन उसके बाद पिछले करीब तीन दशकों में चौबीस घंटे के चैनलों ने खबर को मनोरंजन बना दिया और मीडिया के मूल्य कहीं खोने लगे. आज भारतीय मीडिया उन्हीं नैतिक मूल्यों का ककहरा सीख रहा है, जिसे पश्चिम के मीडिया ने पचास साल पहले ही आत्मसात कर लिया था. उन्होंने दोनों वक्ताओं के विचारों को विषय के अनुरूप और प्रेरक बताते हुए कहा कि इनसे सेमिनार की दिशा तय करने में निश्चित ही मदद मिलेगी. अंत में सभी वक्ताओं को महाविद्यालय परिवार की ओर से स्म्रृति चिन्ह प्रदान किये गए. आज के दोनों सत्रों के समापन पर समाज कार्य संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. मो रफीक ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन कल के सत्रों में वक्ता के रूप में रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर में पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार और कुसुमताई दाबके विधि महाविद्यालय रायपुर में सहायक प्राध्यापक डॉ प्रीति सत्पथी आमंत्रित रहेंगे. वहीँ दोनों सत्रों की अध्यक्षता के लिए पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में विधि विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ प्रिया राव तथा चाणक्य लॉ अकादमी के संचालक श्री नितिन नामदेव उपस्थित रहेंगे. दोनों सत्रों में शोध आलेखों और शोध पत्रों का वाचन होगा

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